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आँखे उससे चार हुई,वहीं इश्क़ की भरमार हुई!

आँखे उससे चार हुई,वहीं इश्क़ की भरमार हुई!
कुछ शरमाई ,कुछ हिचकिचाई !
फिर दोतरफ़ा मोह्हबत की शुरूआत हुई!
कहती थी वो जीवन है आपका !
मैंने भी कहा आज से आपकी सरकार हुई!
वो बोली दुःख बहुत देखे है,मैंने कहा आज से तुम्हारी ये खुशियों की दुकान @happy_machine हुई!
चाहती थी वो मेरे कन्धों पर सितारे !
सच्चाई इस चाहत में थोड़ी ही देर बाद हुई 
बनाता था असम्भव को सम्भव उसके लिये
बात ये उसके लिए कई बार हुई
मोहहबत के इस दौर में 
रूहो को मुलाकाते कई बार हुई
और फिर कुछ यूँ हुआ
हम दोनों की शहर में बरसात हुई
वो मेरी याद में खूब भीगी
और फिर उसे जम के जुकाम हुई

फिर धीरे धीरे कुछ यूं बात हुई
मेरी हँसी उनके किये आम हुई
इसी बीच कही किसी की आंखों में
ये मोह्हबत ना दुश्वार हुई
कभी न चुप रहने वाली वो
धीरे धीरे बातें सारी आम हुई
कभी तकलीफ में होता था जो मैं 
उसे गले लगाने में देरी कई बार हुई

वक़्त गुजर रहा था
मैं देख रहा था
सब फिसल रहा था
सब सही करने की कोशिश कई बार हुई

उन्होंने कहा दूरियां सुधार सकती हैरिश्ते
नाराजगी मेरी उनसे इस बार हुई
अंततः उन्होंने कह ही दिया
कि उनकी आंखे फिर चार हुई!!
.
.
ओर मोह्हबत फिर शर्मसार हुई!!

           ~अभिमंद🩵

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3 Comments

बेहतरीन अभिव्यक्ति

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Gunjan Kamal

17-Jul-2023 01:22 AM

बहुत खूब

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Reena yadav

16-Jul-2023 11:08 PM

👍👍

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